
मसूरी। पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने उत्तराखंड और सचिवालय में व्याप्त भ्रष्टाचार पर तंज कसा। और कहा कि उत्तर प्रदेश में काम करना आसान था। ऐसी कार्यसंस्कृति उत्तराखंड में क्यों नही पनपी। राज्य बनने के बाद लोगों को सचिवालय के चक्कर काटने को मजबूर होना पड़ रहा है। वहीं कहाकि पंचायत चुनावों में क्या हुआ सभी जानते ह,ैं जो दुर्भाग्यपूर्ण है। किसी ने भी ऐसे उत्तराखंड की परिकल्पना नहीं की थी।
काबिलेगौर है कि मसूरी, दिल्ली और देहरादून में भाजपा नेताओं के सुर सरकार के खिलाफ ही मिलते दिख रहे हंै। उधर दूसरी और दिल्ली में प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार से सांसद और पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और अनिल बलूनी की मुलाकात ने राजनीतिक हलकों में गरमाहट पैदा कर दी है। इधर देहरादून में पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ के भांजे विक्रम राणा का वीडियो भी तेजी से वाइरल हुआ है। ये सारे घटनाक्रम संयोग है या राजनीति का कोई खेल। तेज तर्रार कांग्रेस नेता डा हरक सिंह रावत भी घंटे दर घंटे भाजपा और प्रदेश सरकार के लिए असहजता पैदा किए हुए हैं। डा रावत ने पहले भाजपा कार्यालय के 30 करोड़ फंडिंग में अपने को भी शुमार किया, वही लगे हाथ नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने भी हरक के सुर में सुर मिला दिए। हरक सिंह और पूर्व सीएम तीरथ सिंह ने एक-दूसरे पर कटाक्ष किए। लेकिन दोनों ही भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी करने में कोई कोर कसर नही छोड़ रहे है। डा रावत ने तो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को पीसीओ बूथ संचालन से लेकर राज्य सभा सदस्य और प्रदेश अध्यक्ष पर आसीन हो जाने को उपलब्धि माना। और कहा कि जिस मुकाम पर भट्ट पहुंचे है। उसमें उनका हाथ भी है।
इधर मसूरी में पूर्व सीएम तीरथ तो पूरे रौ मंे दिखे। और अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करने में कोई कोर कसर नही छोड़ी, बल्कि मीडियाकर्मियों की तरफ मुखातिब होते कहते रहे कि ये लोकतंत्र के चक्षु है। उनकी चाहत थी कि मीडिया उनकी बात पर जरूर गौर फरमाये।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के प्रति जो दर्द व पीड़ा नेता, अधिकारी कर्मचारी को उत्तराखंड के विकास के लिएं होनी चाहिए वह नजर नहीं आ रही है। उन्होंने हरक सिंह के खनन के बयान पर कहा कि वह कब क्या कह दें सभी जानते हैं, यह नहीं कह सकता, वह कब क्या कह दें कब उसका खंडन कर दें पता नहीं।