ईडी ने पूर्व डीएफओ किशन चंद और अखिलेश तिवारी समेत 04 के विरुद्ध दाखिल की चार्जशीट:
कार्बेट टाइगर रिजर्व में 6000 से अधिक पेड़ों के कटान और अवैध निर्माण के मामले में जांच में अहम कदम

बिग ब्रेकिंग: ईडी ने पूर्व डीएफओ किशन चंद और अखिलेश तिवारी समेत 04 के विरुद्ध दाखिल की चार्जशीट
कार्बेट टाइगर रिजर्व में 6000 से अधिक पेड़ों के कटान और अवैध निर्माण के मामले में जांच में अहम कदम
भाजपा की तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार में वन मंत्री रहे हरक सिंह रावत से जुड़े कार्बेट टाइगर रिजर्व के प्रकरण में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। कार्बेट टाइगर रिजर्व में 6000 से अधिक पेड़ों के कटान और तमाम अवैध निर्माण के मामले में पूर्व डीएफओ किशन चंद, पूर्व डीएफओ अखिलेश तिवारी, पूर्व रेंजर बृज बिहारी शर्मा और पूर्व रेंजर मथुरा सिंह के विरुद्ध विशेष न्यायालय (पीएमएलए) में चार्जशीट दाखिल कर दी गई है।
इसी मामले में ईडी हाल में ही पूर्व रेंजर बृज बिहारी शर्मा की पत्नी राजलक्ष्मी शर्मा और पूर्व डीएफओ किशन के दो पुत्रों अभिषेक कुमार सिंह और योगेंद्र कुमार सिंह के नाम पर दर्ज 1.75 करोड़ रुपए की संपत्ति प्रारंभिक रूप से जब्त कर चुकी है। ईडी के सूत्रों के अनुसार जब्त की गई संपत्ति में हरिद्वार और उत्तर प्रदेश के बिजनौर क्षेत्र में विभिन्न प्लाट शामिल हैं।
पूर्व डीएफओ किशन चंद पर ईडी पहले भी सख्त कार्रवाई कर चुकी है। जिसमें दिसंबर 2023 में हरिद्वार-रुड़की में प्रारंभिक रूप से अटैच किए गए 31.8 करोड़ रुपए के स्कूल, स्टोन क्रशर, भवन और भूमि को कुछ समय बाद ही अंतिम रूप से जब्त कर लिया गया था। ईडी के अधिकारियों के अनुसार कार्बेट प्रकरण में मुख्य आरोपितों ने घपला कर जो रकम एकत्रित की, उससे आरोपितों ने स्वजनों के नाम पर संपत्ति खरीदी।
हरक सिंह रावत, पूर्व वन मंत्री
सीबीआइ दाखिल कर चुकी है चार्जशीट, अब ईडी के कदम से बढ़ेगी मुश्किल
कार्बेट प्रकरण में मुख्य आरोपित पूर्व डीएफओ किशन चंद और पूर्व रेंजर बृज बिहारी शर्मा पर सबसे पहले उत्तराखंड विजिलेंस ने शिकंजा कसते हुए गिरफ्तारी भी की थी। हालांकि, हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ ने 11 अक्टूबर 2023 को एफआइआर कर मामला अपनी सुपुर्दगी में ले लिया था। जिसमें सीबीआइ पहले ही चार्जशीट दाखिल कर चुकी है।
कार्बेट रिजर्व में 215 करोड़ के कार्यों से जुड़ा है घपला
कार्बेट टाइगर रिजर्व की पाखरो रेंज से जुड़ा यह घपला 215 करोड़ रुपए से अधिक के कार्यों से जुड़ा है। इस मामले में भाजपा की तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार में वन मंत्री रहे डा हरक सिंह रावत (अब कांग्रेस में शामिल) की भूमिका पर गंभीर सवाल हैं और कई वनाधिकारियों को आरोपित बनाया गया है। सीबीआइ के साथ ही ईडी भी प्रकरण में निरंतर शिकंजा कस रही है। घपले में कुल 09 पूर्व और वर्तमान वनाधिकारी जांच एजेंसियों के घेरे में हैं।